悪質配信者ずいえきの悪行 ・生活保護不正受給 ・転売ヤー ・恐喝(コンビニから出てくる遊戯王、デュエマキッズからレアカードを奪う) ・ハムスターをレンジでチン ・インコの羽をむしってバトミントンの羽を作成 ・飛べないインコを鉄板で踊り焼き ・近所の農家さんの無人野菜販売所から常習的に盗んでいる ・黒人差別 ・女性蔑視 ・実家の室内で花火 ・有名YouTuberのお別れ会で迷惑行為 ・風呂で10キロの海鮮パスタを作る配信(ほぼ廃棄) ・賃貸の部屋の室内ビニールプール配信 ・新人配信者を荒らして引退に追い込む ・未成年飲酒喫煙 ・12歳の女児を強姦 ・隣人の家で放火実況配信 ・回転寿司の流れてくる皿から一貫ずつつまみ食いして無銭飲食 ・友達に無理矢理うんこ食わせた ・彼女を精神的に追い込み首吊りさせる ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ꧅﷽ဪ ﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽﷽
キーワード 女性蔑視 を含む番組はありません
小林P・伊藤D「Vの皮被ったとて中身は変わらない」何も調べない、憶測で偏った語り草が世論形成する社会...
↓ 番組チケットのご購入はこちら! https://ch.nicovideo.jp/genron-c...